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ज्योतिष एवं हस्तरेखा के क्षेत्र में 48 वर्षो के अनुभवी पं० विश्वनाथ प्रसाद 'विप्र', ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ से संपर्क करने के लिए मोबाइल न० 9431743610 पर फ़ोन करें अथवा व्हाट्सअप न० 8709377206 पर किसी भी समय संदेश भेजें|
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    ज्योतिषी परिचय

    विश्वनाथ प्रसाद 'विप्र' ज्योतिषी एवं हस्तरेखा विद्|
    एम० एस० सी० (फिजिक्स)
    ए० एम० आई० ई० (इलेक्ट्रॉनिक्स)
    रिटायर्ड सीनियर मैनेजर, SAIL, बोकारो स्टील प्लांट, बोकारो स्टील सिटी, झारखण्ड|

    कैसे बने ज्योतिषी एवं हस्तरेखा विद्?

    ई० सन् 1973 में अस्थायी रूप से फिजिक्स के व्याख्यता पद पर कार्य करते समय आदरणीय पंडित चंद्र किशोर झा, गोल्ड मेडलिस्ट, पी. एच. डी. (ज्योतिष शास्त्र) के संपर्क में आया | उनके सौजन्य से ज्योतिष शास्त्र में रूचि जागृत हुई एवं उनके मार्ग दर्शन में इसका पूर्ण अध्ययन किया|

    लक्ष्य

    ज्योतिष शास्त्र के बारे में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करना:-
    ज्योतिष विद्या या शास्त्र, आस्था या विश्वास पर आधारित नहीं है | यह विधा किसी धर्म, सम्प्रदाय या समूह की अवधारणा से भी परे है | यह पूर्णतः एक विज्ञान है |
    ईसा पूर्व में ही हमारे महर्षियों, मुनियों ने अपनी कुंडली जागृत कर सूक्ष्म रूप में ब्रह्माण्ड का अवलोकन किया एवं सौर्यमंडल में स्थित ग्रहों की गति, स्थिति, गुणों आदि का अध्ययन किया एवं इनकी स्थिति के अनुसार मानव जीवन पर पड़ने वाले अच्छे एवं बुरे प्रभाव का क्रमबद्ध विश्लेषण किया |
    उन्होने इस ज्ञान को अपने शास्त्रों में 'सूत्रों' द्वारा उद्धरित किया | इन्ही 'सूत्रों' का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए तर्कसंगत ढंग से व्याख्या करने पर बिलकुल सटीक निष्कर्ष निकाला जा सकता है और सही भविष्यवाणी की जा सकती है |

    वैसे तो ज्योतिष ग्रंथो के आधार पर ज्योतिष शास्त्र को मुख्यतः 5 भागों में बांटा गया :-
    १. होरा
    2. सिद्धांत
    ३. प्रश्न
    ४. संहिता
    ५. शकुन

    परन्तु आजकल इसे मुख्यतः दो भागो में बाटा गया है:-
    १. गणित
    २. फलित
    'गणित' भाग को 'सिद्धांत' भाग भी कहा जाता है | 'गणित या सिद्धांत' पूर्णतः वैज्ञानिक है | इसके सिद्धांतो का उपयोग कर नक्षत्रों, ग्रहों और उपग्रहों की गति एवं स्थिति का पता लगाया जाता है | 'सूत्रों' को अपनाकर सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण की गणना की जाती है जो बिल्कुल सत्य साबित होता है | इस तरह स्पष्ट होता है कि "ज्योतिष शास्त्र" एक सार्थक विज्ञान है |

    प्रकाशन

    सर्व प्रथम राष्ट्रीय पत्रिका धर्म मुला 13 मार्च 1983 के अंक में ज्योतिष पर लेख 'गुरु रत्न पुखराज एवं तर्जनी प्रकाशित हुआ | इसके बाद भिन्न भिन्न राष्ट्रीय दैनिक पत्रिकाओं यथा हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, राष्ट्रिय सहारा, आज, दैनिक भाष्कर में अलग अलग समय पर तीस से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके है | इनमे अधिकतर बिहार, झारखण्ड, दिल्ली एवं केंद्र सरकार क संबंध में चुनाव पूर्व की गयी भविष्वाणी भी प्रकाशित हुई जो चुनाव परिणामो में सत्य साबित हुई |

    ज्योतिष शास्त्र के फलित भाग

    फलित भाग में फलित अर्थात भविष्य फल करना एक कठिन कार्य साबित होता है | इसमें ज्योतिष अध्ययन के साथ अनुभव का बहुत बड़ा सामंजस्य होता है | जैसे डॉक्टरी शिक्षा प्राप्त किये हुए नए डॉक्टर के पास कोई अपनी जांच रिपोर्ट लेकर जाता है तो डॉक्टर को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में बिलम्ब हो सकता है, विश्वास में कमी महसूस हो सकती है | लेकिन अनुभवी डॉक्टर रोग को पहचान करने एवं इलाज करने में कारगर साबित होता है | उसी तरह एक अनुभवी ज्योतिष को जीवन की समस्याओं का ज्योतिषी कारण एवं समाधान उपाय बनाने में देर नहीं होती है | उसके द्वारा बनाये गए उपाय शतप्रतिशत कारगार साबित है |